शबे बरात कि नमाज़ का तरीका || Shab-e-Barat ki Namaz ka Tarika :-

अस्सलामु अलैकुम रहमतुल्लाहि वा बरकतहु,

मेरे प्यारे दोस्तों आज हम जानेंगे शबे बारात क्या है और इसकी क्या फजीलत है। जैसा कि हम जानते हैं शबे बारात रहमतों और बरकतों वाली रात है, इबादतों वाली रात है।

इस शबे बरात की रात को अलग अलग नामों से पुकारा जाता है जैसे बरकत वाली रात,दोजख से छुटकारे की रात,मगफिरत वाली रात,गुनाहों को मिटाने वाली रात,शफाअत वाली रात भी कहा जाता है। शबे बारात की रात में पूरे साल भर के काम लिख दिए जाते हैं,ये रात इबादतों वाली रात है अपने रब को मनाने वाली रात है।

जैसे रोजी,तंदुरुस्ती,बीमारी,मालदार,गरीबी,तंगी,राहत,तकलीफ, ज़िंदगी और मौत भी,यहां तक के हर वो शख्स जो इस साल में पैदा होने वाले है या मरने वाले है उसका वक़्त भी शबे बरात की रात में लिखा जाता है। 

शबे बरात की रात अल्लाह तबारक व ताला आसमाने दुनिया पर तजल्ली फरमाता है और इस रात को ढेर सारे बंदों के गुनाहों की मगफिरत करता है हुजूर नबी ए करीम मुहम्मद मुस्तफा ﷺ ने शाबान की पंद्रहवीं (15) रात के बारे में फरमाया कि इस रात को किसी की दुआ रद नहीं होती है।

बाद नमाज़े मगरिब :-

ये 6 रकात नमाजे आपको मगरिब के बाद अदा करना है
2-2 रकात करके अदा करना है यह नमाजे दराजे उम्र, दफा आफतो बलायत और कुशादगी रिज्क के लिए है| (हर 2 रकात के बाद सूरह यासीन पढ़ने की बड़ी फजीलत है)

* नियत की मैंने, 2 रकात नमाज़े नफ़्ल, दराजे उम्र के लिए, वास्ते अल्लाह तआला के. मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाह हु अकबर।


* नियत की मैंने, 2 रकात नमाज़े नफ़्ल, दफा आफातो बलायत के लिए, वास्ते  अल्लाह तआला के, मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाह हु अकबर।


* नियत की मैंने, 2 रकात नमाज़े नफुल, कुशादगी रिज़्क के लिए, वास्ते अल्लाह तआला के, मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाह हु अकबर।

शबे बरात की नफ़्ल नमाज़ें :-

2 रकात :- नफ़्ल तहय्यतुल वज़ू पढ़िए।
तरकीबः हर रकात में अल्हम्द के बाद 1 बार आयतल कुर्सी, 3 बार कुलहुवल्लाहु अहद।
फजीलत :- हर कतरह पानी के बदले 700 रकात नफ़्ल का सवाब मिलेगा।

 2 रकात :- तरकीबः हर रकात में अल्हम्द के बाद 1 बार आयतल कुर्सी, 15 बार कुलहुवल्लाहु अहद, सलाम के बाद 100 बार दरूद शरीफ।
फजीलत :- रोजी में बरकत होगी, रंज व गम से नजात, गुनाहों की स्शिश, मग्फित होगी।


8 रकात :- तरकीबः (2-2 करके) हर रकात में अल्हम्द के बाद 5 बार कुलहुवल्लाहु अहदा
फजीलत :- गुनाहों से पाक व साफ होगा, दुआएँ कुबूल होगी, सवाबे अजीम होगा।


12 रकात :- (2-2 करके) तरकीबः हर रकात में अल्हम्द के बाद 10 बार कुलहुवल्लाहु अहद 12 रकात पढ़ने के बाद 10 बार कलमए तौहीद, 10 बार कलमा ए तमजीद, 10 बार दरूद शरीफ।


14 रकात :- (2-2 करके) तरकीबः हर रकात में अल्हम्व के बाद जो सूरह चाहें पढ़े।
फजीलत :- जो भी दुआ मांगे कुबूल होगी।


4 रकात :- (एक सलाम से) तरकीबः हर रकात में अल्हम्द के बाद 50 कुलहुवल्लाहु अहद।
फजीलत :- गुनाहों से ऐसे पाक हो जायेगा जैसे अभी माँ के पेट से पैदा हुआ हो।


8 रकात :- (एक सलाम से) तरकीबः हर रकात में अल्हम्द के बाद 11 बार कुलहुवल्लाहु अहद इसका सवाब खातूने जन्नत हज़रत फातमा तुज़ ज़हरा रदी अल्लाहु तआला अन्हा को नज़्र करें।
फजीलत :- आप फरमाती हैं कि नमाज पढ़ने वाले की शफाअत किए बिना मैं जन्नत में कदम न रखूँगी।


लेकिन बेहतर यही है कि आप क़ज़ा ए उमरी (उम्र की क़ज़ा) की नमाज़ को अदा करें।

शबे बरात के रोज़े की फजीलत :-

हुजूर नबी ए करीम मुहम्मद मुस्तफा ﷺ फरमाते हैं कि जिसने शाबान में एक दिन रोज़ा रखा उसको मेरी शफाअत हलाल हो गई, एक और हदीस शरीफ है कि हुजूर नबी ए करीम मुहम्मद मुस्तफा ﷺ फरमाते हैं कि जो शख्स शाबान की 15 तारीख को रोज़ा रखेगा उसे जहन्नम की आग न छूएगी।

इस रात में की जाने वाली इबादतें (Ibadat in Shab-e-Barat) :-

 

1. तौबा और इस्तग़फार

  • “अस्तग़फिरुल्लाह रब्बी मिन कुल्ली ज़ंबिं व अतूबु इलैह” (100 बार पढ़ें)।
  • दिल से तौबा करें और अल्लाह तबारक व ताला से अपने गुनाहों की माफी मांगें।

2. नफ्ल नमाज़ पढ़ें

  • कम से कम 2, 4, 6 या 8 रकात नफ्ल नमाज़ पढ़ें।
  • जो कि ऊपर मैंने दे दिया है।

3. कुरआन की तिलावत करें

  • इस रात कुरआन-ए-पाक की तिलावत करना बहुत अफ़ज़ल माना जाता है।

4. दुरूद शरीफ पढ़ें

  • “अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिं व अला आले मुहम्मद” (कम से कम 100 बार पढ़ें)।

5. कब्रिस्तान जाकर दुआ करें

  • अपने गुज़रे हुए रिश्तेदारों के लिए मग़फ़िरत की दुआ करें।

6. रोज़ा रखना (Shabe Barat ka Roza)

  • हुजूर नबी ए करीम मुहम्मद मुस्तफा ﷺ पंद्रहवीं (15) शाबान के दिन रोज़ा रखते थे, इसलिए इस दिन रोज़ा रखना सुन्नत है।

अल्लाह हम सबकी दुआ कबूल करे और हमारे गुनाह माफ फरमाए। आमीन! 

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