Naat-e-Paak || नात-ए-पाक :-
कोई दुनिया-ए-अता में नहीं हमता तेरा हो जो हातिम को मुयस्सर ये नज़ारा तेराकह उठे देख के बख़्शश में ये रुत्बा तेरा वाह ! क्या जूद-ओ-करम है, शह-ए-बतहा ! तेरानहीं सुनता ही नहीं माँगने वाला तेरा इल्म ऐसा भी ना दे खुद को कहूं उन जैसा इससे बेहतर मेरे मौला मुझे जाहिल करदे कुछ बशर … Read more