अस्सलामु अलैकुम रहमतुल्लाहि वा बरकतहु,
आज आपके लिए बहुत ही अज़ीम दुरूद शरीफ़ लाया हूं, जिसे हम शबे जुम्मा दुरूद शरीफ़ भी कहते हैं जो कि हमे जुमेरात और जुम्मा की दरमियानी रात में पढ़ना है। ये दुरूद शरीफ़ आपको Urdu, Hindi & English में भी मिल जाएगी।
ईस दुरूद शरीफ़ की बहुत फ़ज़ीलत कुछ फ़ज़िलतें ये रही।
फ़ज़िलत हिन्दी में :-
बुज़ुर्गन ए दीन ने फरमाया के जो शख़्स हर शब ए जुमेरात या जुम्मा के दरमियानी रात में इस दुरूद शरीफ को पाबंदी से कम-अज़-कम एक मरतबा पढ़ेगा तो मौत के वक़्त सरकार ए मदीना हुजूर अकरम मुहम्मद मुस्तफा ﷺ की ज़ियारत करेगा और क़ब्र में दखिल होते वक़्त भी, यहां तक कि वो देखेगा कि सरकार ए मदीना हुजूर अकरम मुहम्मद मुस्तफा ﷺ क़ब्र में अपने रहमत भरे हाथों से उतार रहे हैं।
हुज़ूर नबी ए करीम ﷺ फरमाते हैं जो शख़्स ये दुरूद शरीफ़ पढ़ेगा मेरी शफ़ाअत उस शख़्स पर वाजिब है।
(अफदल यूएस सलावत अला सैय्यदिस सादात पेज संख्या 151, अल तग्रीब वत तरहीब)
شب جمعه درود شریف۔
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيم
اللهُمَّ صَلِّ وَسَلِّمْ وَبَارِكْ عَلَى سَيِّدِنَا مُحَمَّدِ النَّبِي الأُمِّيِّ الْحَبِيبِ الْعَالِي الْقَدْرِ الْعَظِيمُ الْجَاهِ وَعَلَى آلِهِ وَصَحْبِهِ وَبَارِكَ وَسَلَّم۔
शबे जुम्मा दुरूद शरीफ़ हिन्दी में :-
बिस्मिल्लाह हिर रहमान निर रहीम
अल्लाहुम्मा सल्लि व सल्लिम व बारिक अला सय्यिदिना मुहम्मदी-निन नबिय्यिल उम्मिय्यिल हबीबिल आलिल क़दरिल अज़ीमिल जाहि व अला आलिहि व सहबिही व सल्लिम।
Shab e Jumma Darood Shareef in English :-
Bismillah hir Rahman nir Rahim
Allahumma Salli Wa Sallim Wa Baarik Ala Sayyidina Wa Maulana Muhammadinin Nabiyyil Ummiyyil Habeebil Aalil Qadril Azeemil Jaahi Wa’Ala Aalihi Wasahbihi Wabaarik wasallim.
Fazilat in English :-
Buzurgan e Deen ne Farmaya ke Jo Shakhs Har Shab e Jumerat Or Jumma ke Darmiyani Raat mein iss Darood Sharif ko Pabandi se Kam-az-kam Ek Martaba Padhega To Maut Ke Waqt SARKAR E MADINA HUZOOR AKRAM MUHAMMAD MUSTAFA ﷺ Ki Ziyarat Karega Aur Qabr mein dakhil hote Waqt bhi, Yaha Tak Ki Wo Dekhega Ki SARKAR E MADINA HUZOOR AKRAM MUHAMMAD MUSTAFA ﷺ Use Qabr mein Apne Rehmat Bhare Hathon Se Utaar Rahe Hain.
HUZOOR NABI E KARIM ﷺ farmate hai jo shakhs yeh darood sharif padhega meri shafa’at uss shakhs par wajib hai.
(AFDAL US SALAWAT ALA SAYYIDIS SADAT PAGE NO 151, AL TAGREEB WAT TARHEEB)