Shab-e-Meraj Ki Raat ki Fazilat || शब-ए-मेराज की रात की फ़ज़ीलत :-

Shab-e-Meraj Ki Raat ki Fazilat || शब-ए-मेराज की रात की फ़ज़ीलत :-

अस्सलामु अलैकुम वा रहमतुल्लाहि वा बरकतहु,
आज हम जानेंगे शबे मेराज की फ़ज़ीलत,ईस मुबारक रात की बहुत फ़ज़िलतें है और 27 रज़ब केरोज़े कि भी बहुत फ़ज़ीलत है यह रात रज़ब महीने के 27 वीं रज़ब को होता है।


शबे मेराज की रात में पढ़ी जाने वाली नफ़ील नमाज़।
यह नफ़ील नमाज़ 12 रकअत की होगी जो आपको इस तरह से पढ़ना हैं, नफ़ील नमाज़ की नियत करनी है आपको, और 2–2 रकअत कर के पूरी 12 रकअत नमाज़ को पढ़ना है। इस नमाज़ में किसी ख़ास सुरह की कायद नहीं है जैसे आम तौर पर नमाजे पढ़ते है उसी तरह से पढ़नी है,
जैसे कि शना शुभानका और सूरह फातिहा अलहम्द शरीफ के बाद कोई भी सूरह पढ़ सकते हैं, इसी तरह 12 रकअत नफ़ील नमाज़ आपकी हो जाएगी।

  • नमाज़ मुकम्मल करने के बाद ये तीनों तस्बीह पढ़ना है।
    1. तीसरा कलमा सुब्हानल्लाही वलहम्दुलिल्लाही वला इलाहा. इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर (100 बार)    
    2. दुरूद शरीफ (100 बार)
    3. अस्तग़फिरुल्लाह रब्बी मिन कूली ज़म्बिन वा अतुबु इलैह(100 बार)

हमारे हुज़ूर अक़रम आका वा मौला मुहम्मद मुस्तफा ﷺ फरमाते हैं कि इस वजीफा के बाद अपनी दुनिया और आख़िरत के लिए जिस चीज़ के लिए भी दुआ मांगेगा और सुबह को रोज़ा (यानी 27 रज़ब को) रखेगा, अल्लाह तबारक वा ताला उसकी सब दुआएं कुबूल फरमाएगा और उसके तमाम गुनाहों को माफ कर देगा। अल्लाह तबारक वा ताला हम सबको अमल करने की तौफ़ीक अता फरमाए।। आमीन ।।

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